"धर्म-अधर्म" सिर्फ सुखों के समय में दिखता है।

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"धर्म-अधर्म" सिर्फ सुखों के समय में दिखता है।
मुसीबत में तो सिर्फ "इंसानियत" का, धर्म काम आता है।

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